20 हाजार का आबादी वाला कैथल का गांव बालू। इतनी बड़ी आबादी के कारण यहां पर सरपंच तो तीन हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य का इंतजाम ना के बराबर। 12वीं तक के स्कूल में ना तो स्थायी प्रिंसिपल थे, ना ही पीने का पानी, शौचालय भी नहीं, जर्जर छत से गिरती रेत और पत्थर के बीच छात्रों को पढ़ने पर मजबूर होना पड़ता था।
स्कूल में साइंस सहित कुल सात विषयों के टीचर भी नहीं थे। परेशान छात्रों ने अक्टूबर 2017 को कोर्ट की शरण ली। छटी से 10वीं तक के स्टूडेंट्स की याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इसके लिए रिट दायर की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 20 लाख रुपये की त्वरित फंड से जर्जर इमारत के नवीनीकरण के लिए मिला।
अब इस स्कूल के पुराने कमरे तोड़ने का काम शुरू करदिया गया है और इस इमारत का नवनिर्माण भी होगा। यही नहीं उनके इस केस की वजह से कोर्ट ने पूरे हरियाणा में टीचरों के खाली पड़े पद की जानकारी मांगी है।
दिल्ली में पटाखों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करने वाली बच्ची से प्रेरित सभी स्टूडेंट्स ने अपने गांव से ही पढ़े वकील प्रदीप रापड़िया की मदद भी ली जिन्होंने बिना फीस के इस केस को लड़ा। अब इसी गांव के करीब 15 बुजुर्गों और विकलांग मरीजों ने अस्पताल के लिए भी यही राह अपना कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।