Sahab Ram, Yuva Haryana
Chandigarh, 25 Oct, 2018
इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला ने पार्टी की अनुशासनात्मक कमेटी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है। दो पेजों की अंग्रेजी में लिखी गई चिट्ठी में एक बार फिर दुष्यंत चौटाला ने अपने ऊपर लगे आरोपों के साक्ष्य मांगे है वहीं व्यक्तिगत तौर पर पेश ना होने देने को लेकर भी नाराजगी जताई है। दुष्यंत चौटाला ने पार्टी कार्यालय के सचिव नक्षत्र सिंह मल्हान को 24 अक्टूबर को चिट्ठी लिखी है।
जानिये क्या लिखा है दुष्यंत चौटाला ने अपनी चिट्ठी में…
अध्यक्ष
अनुशासनात्मक समिति
माध्यमः नक्षत्र सिंह मल्हान, कार्यालय सचिव
विषयः अधोहस्तारित शुरु की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के संदर्भ में।
श्रीमान,
आपके द्वारा 11 अक्टूबर 2018 को नोटिस, जिसमें मेरे खिलाफ विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए गए हैं। के अनुसार कि मैं इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल हूं, जिसके कारण संगठन में कथित असंतोष उत्पन्न हुआ और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया।
इसके अलावा जननायक चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में 7 अक्टूबर 2018 को आयोजित सभा में आरोपों के अनुसार हुई हूटिंग और अनुशासनहीनता को लेकर मुझे कारण बताया जा रहा है।
मेरा हमेशा से यह प्रयास रहा है कि मैं जननायक के आदर्शों के अनुरूप कार्य करते हुए उनके विचारों को मूर्त रूप प्रदान करने के साथ-साथ उनके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों पर कार्य करुं।
देवीलाल जी द्वारा कहा गया है वाक्य- लोकराज लोकलाज से चलता है, मेरे लिए सबसे बड़ा सिद्धांत और प्रेरणादायित्व है।
चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी के नेतृत्व में कार्य करने का जो मुझे गौरव प्राप्त हुआ है. इससे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। इंडियन नेशनल लोकदल मेरा परिवार है और ऐसे लोगो जो चौधरी देवीलाल जी के बताए हुए रास्ते पर चलकर उनके सपनों को पूरा करने हेतु सतत प्रयासरत हैं, उनके साथ कार्य करना मेरे लिए आशीर्वाद के समान है।
प्रेषित नोटिस के संदर्भ मैंने 14 अक्टूबर 2018 और 17 अक्टूबर 2018 को लिखे गए पत्र के माध्यम से श्री नक्षत्र सिंह जी को लिखा है जिसमें मेरे ऊपर लगे आरोपों के प्रांसगिक साक्ष्य उपलब्ध करवाए जाएं ताकि में अपना जवाब दाखिल करने में सक्षम हो सकू।
हालांकि मेरे द्वारा प्रेषित उपरोक्त पत्रों के संदर्भ में आपकी तरफ से मुझे कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। प्रेषित पत्रों की प्रति साथ में हैं।
मैं उस समय दंग रहा, जब मुझे समाचार पत्रों और टीवी के माध्यम से यह जानकारी मिली कि 18 अक्टूबर 2018 को गुरुग्राम में कार्यकारिणी की एक बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें इस मामले की आपकी अध्यक्षता में कार्यरत अनुशासनात्मक कमेटी को यह विषय सौंपा गया है और 25 अक्टूबर तक मुझे अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
इन घटनाक्रमों पर विचार करते हुए मैं बहुत ही व्यथित मन से लिखने को बाध्य हूं कि इस कमेटी का अस्तित्व ही असंवैधानिक है, क्योंकि यह प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों की पालना नहीं कर रहा है।
आप इस चीज से भली भांति परिचित हैं कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और इस प्रणाली के अंतर्गत कानून का शासन चलता है, शासन का कानून नहीं चलता।
ऐसा अपेक्षित था कि यह समिति उचित और निपक्ष जांच करेगी, लेकिन समिति के आचरण को देखते हुए मुझे प्रबल आशंका है कि समिति द्वारा मेरे अधिकारों का दमन किया जाएगा। ये अच्छी तरह से जानते हुए कि मैंने नोटिस का जबाव देने के लिए आवश्यक साक्ष्य उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है फिर भी मुझे ये साक्ष्य उपलब्ध ना करवाया जाना, जिसके आधार पर यह नोटिस जारी किया है मेरी आशंका को बल देता है।
यहां यह उल्लेख करना अनिवार्य है कि अनुशासनात्मक कमेटी की तरफ से मुझे व्यक्तिगत तौर पर जबाव दाखिल करने के लिए एक मौका दिया जाना था. लेकिन इस मामले में चल रही कार्यवाही में मुझे पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया।
वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत मुझे यह कहने में कोई हिचककिचाहट नहीं है कि यह समिति गैरकानूनी तरीके से काम कर रही है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि समिति के गठन से पहले ही होने वाली कार्यवाही का भाग्य निर्धारित कर लिया था. आपसे अनुरोध है कि आपसे अनुरोध किये गए प्रांसगिक साक्ष्य उपलब्ध करवाए जाएं ताकि मैं अपने साक्ष्य व्यवक्तिगत रुप से दे सकूं।
दुष्यंत चौटाला