Yuva Haryana
Panipat 28 Dec, 2018
हरियाणा के पानीपत के गांव बुआना लाखू में रजनी कश्यप के रूप में देश को दूसरी मैरी कॉम मिल गई है। 16 साल की रजनी विश्व मुक्केबाजी का उभरता सितारा हैं। हाल ही सर्बिया में हुई नेशंस जूनियर चैंपियनशिप उसने अपने नाम की। अब तक पांच अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय खिताब उसके नाम दर्ज हो चुके हैं। रजनी के पिता रेहड़ी लगाते हैं और मां खेतों मे मजदूरी करती हैं।
रजनी ने 11 से 18 दिसंबर को चंडीगढ़ में हुई दूसरी सब जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 46 किलोग्राम में स्वर्ण पदक जीता है। रजनी बताती हैं कि पांच साल पहले बॉक्सिंग कोच सुरेंद्र कुमार की गांव की एकेडमी के बॉक्सरों ने जब राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पदक जीते, तो ग्रामीणों ने उन्हें नोटों की माला पहना सम्मानित किया था।
तभी ठान लिया था कि मैं भी पदक जीतूंगी और तब मुझे भी लोग नोटों की माला पहनाएंगे। हालांकि राह आसान नहीं थी। पिता जसमेर और मां ऊषा उसके इस अरमान को पूरा नहीं कर सकते थे। दोनों की कमाई से पांच बहनों और भाई की परवरिश मुश्किल से हो पाती है।
रजनी ने कहा कि मैंने मां से कहा कि बस बॉक्सिंग सीखने की इजाजत दे दे और कुछ नहीं चाहिए। मां ने हामी भर दी। हर रोज छह घंटे अभ्यास किया। मां के साथ खेतों में मजदूरी भी करने जाती। अब भी यही चल रहा है। जसमेर बताते हैं, रजनी बचपन से निडर प्रवृत्ति की थी। सहेलियों व बहनों की पिटाई तक कर देती थी। जब उसने मुक्केबाजी की इच्छा जताई तभी समझ गया कि जरूर कुछ कर दिखाएगी।
लोग कहते कि चेहरा बिगड़ जाएगा, शादी में दिक्कत होगी, पर उसने किसी की नहीं सुनी, उसने पढ़ाई भी जारी रखी। दसवीं प्रथम श्रेणी में पास की और बॉक्सिंग में पदक भी जीते । कोच सुरेंद्र कुमार बताते हैं, वह सुबह शाम तीन-तीन घंटे और प्रतियोगिता नजदीक होने पर अतिरिक्त दो घंटे अभ्यास करती है। सर्बिया में वह बेस्ट बॉक्सर चुनी गई। अब खेलो इंडिया के नेशनल कैंप में है। हमें उससे मैरी कॉम जैसी बड़ी उम्मीदें हैं।