Virender, Yuva Haryana
Jind (17 April 2018)
जींद के गांव निडाना की चर्चा आजकल सभी जगह है। चर्चा का कारण एक लाइब्रेरी है जिसे गांव के ही एक युवक ने बनवाया है। फ्रांस से लड़का जब गांव आया तो युवाओं की हालत देख चिंता में पड़ गया। उन्होंने चिंता और चिंतन के बाद एक अन्य युवा के साथ मिलकर नई पीढ़ी के लिए सही दिशा तलाशने की ठानी। गांव के अन्य युवाओं को साथ लेकर गांव में एक लाइब्रेरी खोल दी।
लाइब्रेरी खोलने वाले फूल सिंह फिलहाल फ्रांस में गूगल कंपनी के सर्च इंजन में जॉब करते हैं, जबकि पवन मलिक शिक्षक हैं। इससे वे गांव को उम्मीद की नई राह दिखा रहे हैं। पवन ने बताया कि एक दिन फोन पर फूल सिंह से गांव के विकास पर चर्चा हो रही थी। विचार किया गया कि अपने गांव के लिए क्या कर सकते हैं? युवा पीढ़ी को सही राह दिखाने के लिए पहली जरूरत गांव में लाइब्रेरी खोलने की थी, जहां बच्चे पढ़ सकें, एक दूसरे से कुछ समझ सकें। आगे बढ़ने की राह मिली तो गांव के अन्य नौकरीपेशा युवाओं से संपर्क साधा गया। साथ मिलकर चंदा एकत्रित किया गया। देखते ही देखते 70 हजार रुपये हो गए।
लाइब्रेरी खोलने के लिए जगह नहीं थी, तो किराये पर मकान ले लिया। दो मंजिला मकान को रंग कर फर्नीचर से सजाया गया। वहीं पूरे गांव में दादा खेड़ा की मान्यता है, इसलिए लाइब्रेरी का नाम भी दादा खेड़ा लाइब्रेरी रखा गया। संचालन के लिए दादा खेड़ा वेलफेयर ट्रस्ट बनाकर उसे रजिस्टर्ड भी करवा दिया गया। जिला उपायुक्त अमित खत्री ने मार्च के पहले सप्ताह में 600 किताबों के साथ लाइब्रेरी का उद्घाटन कर दिया है। शिक्षिका सुनीता मलिक और पवन ने भी लाइब्रेरी को 100-100 किताबें दान दी हैं।
बता दें कि लाइब्रेरी के संचालन के लिए गांव के युवाओं को नौकरी पर रखा गया है। इसमें एक महिला भी शामिल है। सुबह 6 से दोपहर 11 बजे तक लड़कों और 11 से शाम 5 बजे तक लड़कियों के लिए और शाम 5 से रात 10 बजे तक फिर लड़कों के लिए लाइब्रेरी को खोला जाएगा। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए इंवर्टर की व्यवस्था भी की गई है।
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