Yuva Haryana
13 Nov, 2019
यमुनानगर जेल में पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह की विपक्ष के बड़े नेता से गैरकानूनी तरीके से मुलाकात करवाना डीएसपी जेल को महंगा पड़ गया। वहीं मामला राज्य सरकार तक पहुंचने पर जेल के महानिदेशक ने डीएसपी को सस्पेंड कर दिया। आपको बता दें कि पहले डीएसपी का तबादला अंबाला किया गया लेकिन जैसे ही उन पर लगे आरोप सही साबित होते गए तो अंबाला तैनाती के दौरान डीएसपी को सस्पेंड कर दिया गया। वहीं डीएसपी पर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल निर्मल सिंह जमानत पर बाहर हैं। नेता की जेल में मुलाकात कराने के मामले की जांच अभी चल रही है। जांच अधिकारी ने यमुनानगर जेल पहुंचकर कर्मचारियों का बयान दर्ज किया और जांच में पाया कि नेताजी जेल में बिना किसी की अनुमति लिए आए थे।
आपको बता दें कि मामला यमुनानगर के बेलगढ़ में 24 अप्रैल 2018 को रास्ते को लेकर हुआ था। जिसमें खिजराबाद पुलिस ने 25 अप्रैल को पूर्व मंत्री निर्मल सिंह सहित अन्य को नामजद कर मामला दर्ज किया था। उन पर जानलेवा हमला, लूट, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने व आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इसके लगभग दो दिनों के बाद निर्मल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में निर्मल सिंह को 21 दिनों के बाद जमानत मिली थी। निर्मल सिंह के बेटे का दावा था कि उनकी जमीन में घुसकर अवैध खनन किया जा रहा था। उस समय निर्मल सिंह कांग्रेस में शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार- यमुनानगर जेल में बंद निर्मल सिंह से कांग्रेस के बड़े नेता मिलने आए थे। जेल मैनुअल के मुताबिक किसी भी कैदी या बंदी से मुलाकात करने का नियम बना हुआ है और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही मुलाकात की जा सकती है। लेकिन जब विपक्षी नेता यमुनानगर जेल पहुंचे, तो उन्होंने किसी भी तरह की कोई औपचारिकता पूरी नहीं की। यह मामला आला अधिकारियों तक पहुंच गया, जिसके बाद जेल प्रशासन ने आंतरिक तौर पर छानबीन शुरू कर दी। जिसमें पाया गया कि डीएसपी जेल के आदेश पर ही यह मुलाकात की गई थी । जेल महानिदेशक ने मामले की जांच का जिम्मा आईजी जेल को दिया। उनकी जांच में यह आरोप सही पाए गए। आईजी ने यमुनानगर जेल जाकर सभी पहलुओं पर जांच की। आरोप सही साबित होते ही डीएसपी को सस्पेंड कर दिया गया।