Yuva Haryana
15 Nov,2019
विधानसभा चुनावों में जाटों ने झटका दिया तो भाजपा ने जाट बिरादरी को गले लगाने में देर नहीं लगाई। मनोहर मंत्रिमंडल में जाट समुदाय के चार मंत्री बनाते हुए सत्तारूढ़ पार्टी ने जाटों को रिझाने का दांव खेला है। लंबे अरसे के बाद प्रदेश में जाटों को सरकार में इतना प्रतिनिधित्व मिला है।
यह पहला मौका है जब स्वर्गीय उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के परिवार के दो सदस्य किसी सरकार में मंत्री बने हैं। देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला प्रदेश के इतिहास में सबसे कम उम्र के उपमुख्यमंत्री बने हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भाई रणजीत सिंह कैबिनेट मंत्री।
देवीलाल परिवार के पांच सदस्य विधानसभा पहुंचे हैं जिनमें से दो को कैबिनेट में जगह मिली है। लोहारू से भाजपा विधायक जयप्रकाश (जेपी) दलाल और कलायत से विधायक कमलेश ढांडा भी जाट कोटे से मंत्री बने हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक जाटों को इतना प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं।
दिल्ली में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने जाट कार्ड खेला है। बाहरी दिल्ली में जाट चुनावी हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। तीन ओर से हरियाणा से घिरी दिल्ली में करीब 20 सीटें जाट बाहुल्य हैं। ऐसे में भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए यह चक्रव्यूह रचा।
हरियाणा की बात करें तो फरवरी-2016 के जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा के बाद से ही प्रदेश के जाट भाजपा से नाराज चल रहे हैं। जाटों की नाराजगी की वजह से ही भाजपा मिशन-75 पार को पूरा करना तो दूर, बहुमत तक भी नहीं पहुंच पाई।
मनोहर कैबिनेट में चार जाट चेहरे शामिल होने के बाद भी देशवाली जाट बेल्ट यानी पुराने रोहतक को सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। हालांकि पार्टी ने बागड़ी और बांगर जाट बेल्ट पर पूरा फोकस किया। रणजीत सिंह चौटाला बागड़ी बेल्ट से आते हैं। दुष्यंत सिंह चौटाला बागड़ी व बांगर बेल्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दुष्यंत ने बांगर की उचाना कलां सीट से चुनाव जीता, जबकि वे मूल रूप से बागड़ी बेल्ट के गढ़ यानी सिरसा के रहने वाले हैं। इसी तरह कलायत की विधायक कमलेश ढांडा भी बांगर बेल्ट का प्रतिनिधित्व करती हैं। भिवानी की लोहारू सीट भी बागड़ यानी राजस्थान से सटी है। ऐसे में जेपी दलाल की गिनती भी बागड़ी बेल्ट के रूप में ही होगी।