Manoj Kumar, Yuva Haryana
Faridabad, 08-04-2018
महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के दुरूपयोग के मामले आए दिनों सामने आते रहते हैं। ऐसे में इन सुरक्षा कानूनों की आढ़ में न जाने कितने ही पुरूष झूठे आरोपों के शिकार हो जाते हैं। टीम पुरुष आयोग संस्था के कुछ ऐसे ही सदस्यों ने फरीदाबाद के बीके चौक पर महिला कानूनों दुरूपयोग को लेकर शवयात्रा निकाली और सामुहिक मुंडन करवया।
पत्नियों द्वारा दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ और बलात्कार के झूठे मुकदमो में पुरुष विरोधी कानूनों का इस्तेमाल करने के विरोध में संस्था के सदस्यों ने पुरुष विरोधी कानूनों का पुतला भी जलाया गया। इस प्रदर्शन में दिल्ली – एनसीआर सहित कई राज्यों के पीड़ित पुरुष शामिल हुए। संस्था के सदस्यों ने बताया की उनका उद्देश्य पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए समाज व प्रशासन को जागरूक करना है।
संस्था ने उपरोक्त कानूनों में संशोधन करने के लिए भारत के मुख्य न्यायमूर्ति, कानूनमंत्री और प्रधानमंत्री से भी आवह्न किया गया। मुंडन करवाने वाले दिल्ली के गजाधर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि 3 दिसंबर 2013 को उसे रेप के झूठे आरोप में फंसाया गया था। अपनी सच्चाई बताते हुए उसने पुलिस के सामने लाख दुहाई दी, लेकिन उसकी सुनी गयी और उसे 55 दिन तिहाड़ जेल में काटने पड़े। अंत में 2 साल बाद अदालत ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया।
अगर पहले इंसाफ मिल जाता, तो उसे जेल की सजा नहीं काटनी पड़ती। पीड़ित ने बताया की जेल से बाहर आने के बाद उसकी अपनी पत्नी ने धारा 498 के तहत उस पर केस कर दिया और 2014 से अब तक वह केस अभी भी अदालत में चल रहा है। वह पुरुष विरोधी कानून के तहत प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि मर्दो की भी सुनी जाए और उन्हें झूठे मुकदमों में न फंसाया जाए।