मॉडल कोर्ट बनाने की दिशा में फतेहाबाद जिला अदालत में एक और नई पहल की गई है। बढती तकनीक से दशकों पुरानी कोर्ट की परंपरा समाप्त हुई है और अब पेशी पर आने वाले लोगों को कोर्ट के बाहर से प्यादा ‘हाजिर हो’ की आवाज लगाता दिखाई नहीं देगा। ई-कोर्ट परियोजना के तहत इस प्यादे की जगह आधुनिक साउंड सिस्टम ने ले ली है। नये बदलाव के तहत कोर्ट में रीडर की टेबल पर माईक लगाया गया है और कोर्ट के बाहर पेशी का इंतजार करने वाले लोगों के लिए स्पीकर स्थापित किए गए है। कोर्ट रूम से रीडर या स्टाफ का अन्य सदस्य केस और एडवोकेट का नाम पुकारेंगे।
नई व्यवस्था के तहत जिला अदालत की सभी 8 कोर्ट के बाहर दो-दो स्पीकर लगा दिए गए है। पुरानी चली आ रही परम्परा के तहत कोर्ट केस की सुनवाई से पहले प्यादा आवाज लगाकर केस का नाम और एडवोकेट को ‘हाजिर हों’ की आवाज लगाकर पुकारता था। आवाज लगाने वाले प्यादे की खासतौर पर पहचान के लिए यूनिफार्म भी रखी गई थी। लेकिन अब इस परम्परा के स्थान पर तकनीक ने अपनी जगह बना ली है। कोर्ट के बाहर आवाज लगाने वाले प्यादे से अन्य काम लिया जाएगा।
सेशन जज ने बताया कि कोर्ट में माइक और स्पीकर लगने से वादी-प्रतिवादी और एडवोकेट का समय बचेगा, क्योंकि प्यादे की आवाज कई बार सुनाई नहीं देती थी और वादी-प्रतिवादी और एडवोकेट को केस की सुनवाई के लिए प्यादे को बार-बार आवाज लगानी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि कोर्ट परिसर में एक क्योसक भी लगाया गया है। इससे क्लाइंट और एडवोकेट अपने केस का स्टेट्स या अगली तारीख नाम भरकर चैक कर सकते हैं। इससे उसे अपने केस की पूरी जानकारी मिल जाती है।
सेशन जज वर्मा ने बताया कि मॉडल कोर्ट की दिशा में पारदर्शिता के लिए विभिन्न कोर्टों में एलईडी भी लगाई गई है। इसके अतिरिक्त लोगों को आरंभ की गई विभिन्न नई प्रक्रियों व व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देने के लिए बैनर लगवाए गए है तथा पम्फलैट वितरित किए गए है। इनके जरिये न्यायालय की वेबसाईट, ई-मेल आईडी सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों को बताई जा रही है।
नई व्यवस्था में तकनीक के बाद आवाज न सुनने की बहानेबाजी नहीं चलेगी। स्पीकर में स्पष्ट और तेज आवाज होने के कारण पेशी की जानकारी सही प्रकार से मिलेगी। प्यादे द्वारा आवाज सही ढंग से नहीं लगाने से उपस्थिति व अनुपस्थिति के पैदा होने वाले विवाद नहीं होंगे। माइक से आवाज लगाने से पेशी पर आए लोगों व वकीलों को सुविधा होगी। आवाज लगाने के मामले में अब कोई औपचारिकता नहीं होगी।