Yuva Haryana
15 Nov, 2019
चौधरी सुरेन्द्र सिंह ने राजनीति की ओर रुख किया और अपनी कर्मठता के दम पर वह देखते ही देखते अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के सम्मानित पदों पर सुशोभित हुए। अपने प्रिय मित्र स्व संजय गांधी के साथ मिल कर युवा कांग्रेस रूपी पौधे को भरसक मेहनत से सींचा जो आज वट पेड़ का रूप ले चुका है।
पार्टी के प्रति निष्ठा को देख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनसे बेहद लगाव था।
चौधरी सुरेंद्र सिंह जमीन स्तर पर कांग्रेस की जड़ों को मजबूत करने में लगे रहे और अपने पिता चौधरी बंशीलाल जी की योजनाओं को क्रियान्वित करने में चौधरी सुरेंद्र सिंह सारथी की भूमिका में रहे।
इस दौरान हवाई दुर्घटना में उनके परम मित्र संजय गांधी की निधन हो गया ओर श्री राजीव गांधी राजनीति में सक्रिय हो गए ओर फिर चौधरी सुरेंद्र सिंह ने उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर कांग्रेस की जड़ो को मजबूत किया।
उनकी अनुशासित जीवन शैली ने राजीव जी को भी अपना मुरीद बना दिया था
सुरेंद्र सिंह पहली बार चुनाव लड़े जब 1977 में तब देश मे कांग्रेस विरोध लहर चल रही थी। उनको (इंदिरा गांधी) कांग्रेस ने तोशाम से निर्दलीय उम्मीदवार बनाया। उस समय उनको चुनाव चिह्न हाथ का निशान मिला ओर वह पहली बार तोशाम से भारी वोटों से विधायक बने उस समय कांग्रेस का चुनाव चिह्न बछडा होता था। बाद में कांग्रेस ने अपना चुनाव चिह्न बदल कर हाथ रख लिया।
कांग्रेस सिंबल हाथ जनक को शत शत नमन
वर्ष 1982 चुनाव में वह तोशाम से कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित हुए और दूसरी बार विधायक बने ओर उनको मंत्री मंडल में कृषि,वन्य मंत्री बनाया। इस दौरान इन्होंने प्रदेश में अनाज मंडियों में किसान भाइयों की सुविधा के शेड तथा खाद के लिए ग्रामीण क्षेत्रों पर बिक्री केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया जो किसानों के लिए सुविधा बनी हुई है। अपने कार्याकाल में कृषि को आधुनिक तम ओर सरल बनाने के लिए अनेको अनुसंधानो ओर परियोजनओं को अमली जामा पहनाया। जिसके फलस्वरूप हरियाणा के किसान खुश हाल होने लगें उनकी कार्यशैली, लगन और निष्ठा से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उन्हें 1986 में राज्यसभा में राज्य सभा भेज दिया। 1996 ओर 1998 में लोकसभा सांसद रहे हैं। इस दौरान उन्होंने लोक लेखा समिती के तौर पर केंद्र में सेवा दी,सुरेन्द्र सिंह जी ओलपिंक विशेष सदस्य व प्रदेश खेलो के वरिष्ठ पदों पर सुशोभित रहे हैं। 2005 में सुरेन्द्र सिंह सोनिया गांधी जी के आश्रीवाद से कृषि ,राजस्व मंत्री बने इस दौरान राजस्व रिकॉर्ड को कम्प्यूटर राइज्ड करने के आदेश जारी किया।
सुरेन्द्र जी ने कभी लाल बत्ती का प्रयोग नहीं किया व्यर्थ में सुरक्षा कर्मियों की फ़ौज नही रखी,आडंबर के सख्त खिलाफ थे उनके व्यवहार से कभी यह महसूस ही नहीं होता था कि वह प्रदेश की राजनीति के प्रमुख सतम्भ हैं और प्रदेश की राजनीति के पुरोधा हरियाणा निर्माता चौधरी बंशीलाल के सुपुत्र हैं। चौधरी बंशीलाल जी को भी उनकी प्रसिद्धि का एहसास तब हुआ जब 31-3-2005 को चौधरी सुरेंद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब एवं देश प्रदेश के वरिष्ठ तम नेताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। उस को देख कर चौधरी बंशीलाल जी के मुँह से बरबस निकल पड़ा मुझे नही पता था कि टाली(सुरेंद्र)इतनी बड़ी राजनीति कर रहा था।