Ajay Atri, Yuva Haryana
Rewari, 03 Nov, 2018
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा अब लोगों को बेमानी सा नजर आने लगा है। यह हम नही कह रहे, बल्कि यह कहना है हरियाणा की पहली रोडवेज महिला परिचालक शर्मिला का, जिसे हाल ही में 18 दिनों तक चली रोडवेज की हड़ताल के दौरान बतौर महिला परिचालक भर्ती किया गया था।
अब हड़ताल समाप्त होते ही उसे इस सेवा से हटा दिया गया है। इस महिला परिचालक की माने तो लंबे समय के बाद उसे हड़ताल में रोजगार मिला था, जिसे पाकर जीवन में सब कुछ अच्छा लगने लगा था, लेकिन इस मौका परस्त सरकार ने अपने ही नारे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को ठेंगा दिखाते हुए हड़ताल ख़त्म होने के तुरंत बाद उससे खुशियों के रूप में मिली नौकरी को छीन लिया।

आपको बता दें कि शर्मिला दो बेटियों की मां होने के साथ ही 40 फ़ीसदी हैंडीकैप भी है। उसने सरकार से आग्रह किया है कि उसे उसकी नौकरी वापस दी जाए, ताकि वह अपनी दोनों बेटियों को पढा लिखा सकें और अपने परिवार को चला सकें।
शर्मिला ने बताया कि उसका कंडक्टरी लाइसेंस दो साल पुराना है और अब सरकार 10 साल पुराने लाइसेंस की मांग कर रही है। हड़ताल ख़त्म होने के बाद जैसे ही रोडवेज़ के चालक व परिचालक अपनी ड्यूटी पर लौटे तो उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा, लेकिन उनकी मांग है कि 720 निजी बसों को सड़कों पर ना दौड़ाया जाए।
वही बसों में सफ़र करने वाली छात्राओं का कहना है कि हड़ताल में चालक व परिचालक पुलिस कर्मचारी ही थे, जिन्हें देखकर लफंगों ने बसों से दूरी बना ली थी, जिससे वह महफ़ूज थी, लेकिन हड़ताल के ख़त्म हो के बाद अब छेड़छाड़ करने वाले लफंगे फिर से सक्रिय हो गए है। ऐसे में वे महफ़ूज नही है।
उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि बसों में एक सुरक्षा कर्मी को लगाया जाए, ताकि वह सुरक्षित सफ़र कर अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।