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Yuva Haryana, 14 January, 2021
कृषि कानूनों को लेकर किसानों का पिछले 50 दिनों से आंदोलन जारी है। इसी बीच मुद्दे को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया है। दरअसल कमेटी में भूपिंदर मान के नाम पर शुरुआत से ही बवाल हो रहा था। किसान नेताओं का कहना था कि मान पहले ही तीनों नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं।
भूपिंदर सिंह मान ने पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। मान ने इस कमेटी में उन्हें शामिल करने के लिए शीर्ष अदालत का आभार जताया। पत्र में उन्होंने लिखा है कि वे हमेशा पंजाब और किसानों के साथ खड़े हैं। एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते वह किसानों की भावना जानते हैं। वह किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हैं। किसानों के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। वह इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि दे सकते हैं। मान ने पत्र में लिखा कि वह कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकते, अतः वह खुद को इस कमेटी से अलग करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में BKU के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं। इस कमेटी पर किसान संगठन और विपक्ष ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस का कहना है कि कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले कानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं। ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?
कौन हैं भूपेंद्र सिंह मान ?
15 सितंबर 1939 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में पैदा हुए सरदार भूपिंदर सिंह मान को किसानों के संघर्ष में योगदान के लिए भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा 1990 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था। उन्होंने 1990-1996 तक सेवा की। उनके पिता एस अनूप सिंह इलाके के एक प्रमुख जमींदार थे।
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