हरियाणा सरकार का रेगुलराइजेशन नीति पर विचार, इन अस्थायी कर्मचारियों का मांगा डेटा

Sahab Ram
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Yuva Haryana: हरियाणा सरकार ने हाल ही में अस्थायी कर्मचारियों के मुद्दे पर एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य की सरकारी संस्थाओं में अधिकांश ग्रुप बी, सी और डी पदों पर काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को लेकर सरकार ने रेगुलराइजेशन पालिसी पर मंथन शुरू किया है।

प्रमुख अधिकारियों के द्वारा लिये गए एक निर्णय के तहत, मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोडों, निगमों के प्रबंध निदेशक, मुख्य प्रशासक, मंडल आयुक्त, और जिला उपायुक्तों को अस्थायी कर्मचारियों के डाटा भेजने के लिए निर्देश दिए हैं।

इस मंथन के लिए सरकार ने तीन विभिन्न कैटेगरीज तैयार की हैं। पहली कैटेगरीज उन कर्मचारियों के लिए है जो 10 साल से अधिक समय से संगठन में काम कर रहे हैं। दूसरी कैटेगरीज 7 से 10 साल तक के कर्मचारियों के लिए है, और तीसरी कैटेगरीज 5 से 7 साल के बीच के कर्मचारियों के लिए है।

साथ ही, सरकार ने आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के भी डेटा भेजने का निर्देश दिया है।

यह मंथन भारतीय सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य हरियाणा राज्य में नौकरी के अवसरों को बढ़ाना और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी स्थिति में लाना है। इसके अलावा, यह एक कदम है उन सभी कर्मचारियों की सम्मान के प्रति, जो संगठन में अपना योगदान देते हैं और अपने परिवारों को सुखद जीवन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस मंथन के माध्यम से, हरियाणा सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों को स्थायीता के लिए एक उत्तम मौका प्रदान किया है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके। इस प्रकार, यह कदम हरियाणा की आर्थिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।

हरियाणा सरकार ने हाल ही में अस्थायी कर्मचारियों के मुद्दे पर एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य की सरकारी संस्थाओं में अधिकांश ग्रुप बी, सी और डी पदों पर काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को लेकर सरकार ने रेगुलराइजेशन पालिसी पर मंथन शुरू किया है।

प्रमुख अधिकारियों के द्वारा लिये गए एक निर्णय के तहत, मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोडों, निगमों के प्रबंध निदेशक, मुख्य प्रशासक, मंडल आयुक्त, और जिला उपायुक्तों को अस्थायी कर्मचारियों के डाटा भेजने के लिए निर्देश दिए हैं।

इस मंथन के लिए सरकार ने तीन विभिन्न कैटेगरीज तैयार की हैं। पहली कैटेगरीज उन कर्मचारियों के लिए है जो 10 साल से अधिक समय से संगठन में काम कर रहे हैं। दूसरी कैटेगरीज 7 से 10 साल तक के कर्मचारियों के लिए है, और तीसरी कैटेगरीज 5 से 7 साल के बीच के कर्मचारियों के लिए है।

साथ ही, सरकार ने आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के भी डेटा भेजने का निर्देश दिया है।

यह मंथन भारतीय सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य हरियाणा राज्य में नौकरी के अवसरों को बढ़ाना और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी स्थिति में लाना है। इसके अलावा, यह एक कदम है उन सभी कर्मचारियों की सम्मान के प्रति, जो संगठन में अपना योगदान देते हैं और अपने परिवारों को सुखद जीवन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस मंथन के माध्यम से, हरियाणा सरकार ने अस्थायी कर्मचारियों को स्थायीता के लिए एक उत्तम मौका प्रदान किया है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके। इस प्रकार, यह कदम हरियाणा की आर्थिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।

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